मज़दूर

एक मज़दूर

कि जिस के बदन ने

कई दिनों की अन-थक रियाज़त

सीमेंट रेत और बजरी के बीच कटी थी

एक प्याली चाय की तलब

बेलचे की मिट्टी के साथ उछाली थी

फ़िक्र-ए-अयाल को

लोहे की रेढ़ी पे

ईंटों के साथ धकेला था

चंद लम्हे

सुस्ताने की ख़्वाहिश को

सब्र के हथौड़े से कूट डाला था

तब जा कर कहीं

आख़िर कार

आज अपनी दावत मनानी थी

घर में मुर्ग़ी पकानी थी

मगर चमकती किरोला की

दमकती मख़्लूक़ को क्या ख़बर

बीच सड़क में

जिस का शापर फटा था

जो ला-वारिस लाश की सूरत पड़ा था

आज उस ने

अपनी दावत मनानी थी

घर में मुर्ग़ी पकानी थी

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Mazdur In Hindi By Famous Poet Bushra Saeed. Mazdur is written by Bushra Saeed. Complete Poem Mazdur in Hindi by Bushra Saeed. Download free Mazdur Poem for Youth in PDF. Mazdur is a Poem on Inspiration for young students. Share Mazdur with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.