क़रार खो के चले बे-क़रार हो के चले

क़रार खो के चले बे-क़रार हो के चले

अदा अदा पे तिरी हम निसार हो के चले

रह-ए-वफ़ा में रक़ाबत के मोड़ भी हैं बहुत

ये दिल से कह दो ज़रा होशियार हो के चले

किसी के कहने पे तूफ़ाँ में डाल दी कश्ती

ख़ुदा करे कि हवा साज़गार हो के चले

हमें तो नाज़ है अपने हसीं गुनाहों पर

वो लोग और थे जो शर्मसार हौके चले

तुम्हारी अम्बरीं ज़ुल्फ़ों को छू के आई है

हवा की मौज न क्यूँ मुश्क-बार हो के चले

वो जीते-जी तो न आए मिज़ाज-पुर्सी को

जनाज़ा देखा तो साथ अश्क-बार हो के चले

नज़र ने मिल के नज़र से मिला दिया हम को

ये रब्त बाहमी अब उस्तुवार हो के चले

वो अर्ज़-ए-वस्ल पे ख़ामोश हो के बैठ गए

न आर हो के चले वो न पार हो के चले

अज़ल से 'चर्ख़' तबीअत शगुफ़्ता है अपनी

जो मिलने आए वो बाग़-ओ-बहार हो के चले

(1048) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Qarar Kho Ke Chale Be-qarar Ho Ke Chale In Hindi By Famous Poet Charkh Chinioti. Qarar Kho Ke Chale Be-qarar Ho Ke Chale is written by Charkh Chinioti. Complete Poem Qarar Kho Ke Chale Be-qarar Ho Ke Chale in Hindi by Charkh Chinioti. Download free Qarar Kho Ke Chale Be-qarar Ho Ke Chale Poem for Youth in PDF. Qarar Kho Ke Chale Be-qarar Ho Ke Chale is a Poem on Inspiration for young students. Share Qarar Kho Ke Chale Be-qarar Ho Ke Chale with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.