Sharab Poetry of Faiz Ahmad Faiz (page 2)
नाम | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Faiz Ahmad Faiz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1984 |
जन्म स्थान | Lahore |
एक शहर-आशोब का आग़ाज़
दस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा
ब्लैक-आउट
अश्गाबाद की शाम
ऐ हबीब-ए-अम्बर-दस्त!
ऐ दिल-ए-बेताब ठहर
यूँ सजा चाँद कि झलका तिरे अंदाज़ का रंग
यूँ बहार आई है इस बार कि जैसे क़ासिद
ये मौसम-ए-गुल गरचे तरब-ख़ेज़ बहुत है
यक-ब-यक शोरिश-ए-फ़ुग़ाँ की तरह
याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ
वहीं हैं दिल के क़राइन तमाम कहते हैं
तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है
तेरी सूरत जो दिल-नशीं की है
शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें
शरह-ए-बेदर्दी-ए-हालात न होने पाई
सहल यूँ राह-ए-ज़िंदगी की है
रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही
न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है
कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है
कभी कभी याद में उभरते हैं नक़्श-ए-माज़ी मिटे मिटे से
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
जमेगी कैसे बिसात-ए-याराँ कि शीशा ओ जाम बुझ गए हैं
इश्क़ मिन्नत-कश-ए-क़रार नहीं
हसरत-ए-दीद में गुज़राँ हैं ज़माने कब से
हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने
हमीं से अपनी नवा हम-कलाम होती रही
ग़म-ब-दिल शुक्र-ब-लब मस्त ओ ग़ज़ल-ख़्वाँ चलिए
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के