सिलसिला ख़्वाबों का सब यूँही धरा रह जाएगा
एक दिन बिस्तर पे कोई जागता रह जाएगा
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
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Habib Jalib
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Wasi Shah
Ahmad Faraz
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कई सितारे यहाँ टूटते बिखरते हैं
हर सदा से बच के वो एहसास-ए-तन्हाई में है
वो बद-दुआ उसे समझे अगर दुआ लिक्खूँ
वहम-ओ-गुमाँ में भी कहाँ ये इंक़िलाब था
ये जज़्बा-ए-तलब तो मिरा मर न जाएगा
अब दिलों में कोई गुंजाइश नहीं मिलती 'हयात'
ये इल्तिजा दुआ ये तमन्ना फ़ुज़ूल है
सूने सूने उजड़े उजड़े से घरों में ले चलो
मैं ख़ाल-ओ-ख़द का सरापा तसव्वुरात में था
कब क़ाबिल-ए-तक़लीद है किरदार हमारा
महक किरदार की आती रही है