Bewafa Poetry (page 19)
ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए
दाग़ देहलवी
मोहब्बत में आराम सब चाहते हैं
दाग़ देहलवी
लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है
दाग़ देहलवी
खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से
दाग़ देहलवी
कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया
दाग़ देहलवी
काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है
दाग़ देहलवी
जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैं
दाग़ देहलवी
इस क़दर नाज़ है क्यूँ आप को यकताई का
दाग़ देहलवी
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया
दाग़ देहलवी
ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम
दाग़ देहलवी
दिल परेशान हुआ जाता है
दाग़ देहलवी
बात मेरी कभी सुनी ही नहीं
दाग़ देहलवी
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता
दाग़ देहलवी
यूँही जलाए चलो दोस्तो भरम के चराग़
डी. राज कँवल
लोग जिन को आज तक बार-ए-गराँ समझा किए
डी. राज कँवल
किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा
डी. राज कँवल
ये हादसा मिरी आँखों से गर नहीं होता
चित्रांश खरे
तरकीब-ए-सर्फ़ी
चाैधरी मोहम्मद नईम
गुनगुनाती हुई आवाज़ कहाँ से लाऊँ
चरख़ चिन्योटी
बात कहने के लिए बात बनाई न गई
चरख़ चिन्योटी
बात कहने के लिए बात बनाई न गई
चरख़ चिन्योटी
सर उठा के मत चलिए आज के ज़माने में
चरण सिंह बशर
आइना कौन है कुछ पता तो चले
चरण सिंह बशर
लौट चलिए
चन्द्रभान ख़याल
कभी हवा ने कभी उड़ते पत्थरों ने किया
चंद्र प्रकाश शाद
रामायण का एक सीन
चकबस्त ब्रिज नारायण
उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है
चकबस्त ब्रिज नारायण
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता
चकबस्त ब्रिज नारायण
ख़ुशियाँ थीं बेवफ़ा न रहीं ज़िंदगी के साथ
बबल्स होरा सबा
ख़ुद को तमाशा ख़ूब बनाता रहा हूँ मैं
बबल्स होरा सबा