Bewafa Poetry (page 2)
दिल-ए-सितम-ज़दा बेताबियों ने लूट लिया
इंशा अल्लाह ख़ान
अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा
इंशा अल्लाह ख़ान
दिसम्बर आ गया है
इंजील सहीफ़ा
अभी से कैसे कहूँ तुम को बेवफ़ा साहब
इन्दिरा वर्मा
शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो
इन्दिरा वर्मा
कुछ बला और कुछ सितम ही सही
इन्दिरा वर्मा
दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा
इन्दिरा वर्मा
अभी से कैसे कहूँ तुम को बेवफ़ा साहब
इन्दिरा वर्मा
दिल से दिल का रिश्ता होगा
इंद्र सराज़ी
फिर आस-पास से दिल हो चला है मेरा उदास
इम्तियाज़ अली अर्शी
कुछ तो ऐ यार इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई हो
इमरान शनावर
तुम्हारा हुस्न है यकता चलो मैं मान लेता हूँ
इमरान साग़र
तुझ को खो देने का एहसास हुआ तेरे बा'द
इमरान साग़र
हसीनों की जफ़ाएँ भी तलव्वुन से नहीं ख़ाली
इम्दाद इमाम असर
ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं
इम्दाद इमाम असर
ठिकाना है कहीं जाएँ कहाँ नाचार बैठे हैं
इम्दाद इमाम असर
तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ
इम्दाद इमाम असर
सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो
इम्दाद इमाम असर
क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या
इम्दाद इमाम असर
महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था
इम्दाद इमाम असर
क्यूँ देखिए न हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद की तरफ़
इम्दाद इमाम असर
जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है
इम्दाद इमाम असर
जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था
इम्दाद इमाम असर
हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है
इम्दाद इमाम असर
दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता
इम्दाद इमाम असर
आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे
इमदाद अली बहर
ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छा
इमदाद अली बहर
वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे
इमदाद अली बहर
सर्व में रंग है कुछ कुछ तिरी ज़ेबाई का
इमदाद अली बहर
मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता
इमदाद अली बहर