Bewafa Poetry (page 21)
रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है
बेखुद बदायुनी
हश्र पर वा'दा-ए-दीदार है किस का तेरा
बेखुद बदायुनी
गर्दिश-ए-चश्म-ए-यार ने मारा
बेखुद बदायुनी
तुझ पर मिरी मोहब्बत क़ुर्बान हो न जाए
बहज़ाद लखनवी
तिरे इश्क़ में ज़िंदगानी लुटा दी
बहज़ाद लखनवी
क्या ये भी मैं बतला दूँ तू कौन है मैं क्या हूँ
बहज़ाद लखनवी
इक बे-वफ़ा को प्यार किया हाए क्या किया
बहज़ाद लखनवी
इक बेवफ़ा को दर्द का दरमाँ बना लिया
बहज़ाद लखनवी
दिल मेरा तेरा ताब-ए-फ़रमाँ है क्या करूँ
बहज़ाद लखनवी
ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए
बहज़ाद लखनवी
हो गया चर्ख़-ए-सितमगर का कलेजा ठंडा
बेदिल हैदरी
भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे
बेदिल हैदरी
यूँ गुलशन-ए-हस्ती की माली ने बिना डाली
बेदम शाह वारसी
क़स्र-ए-जानाँ तक रसाई हो किसी तदबीर से
बेदम शाह वारसी
क़फ़स की तीलियों से ले के शाख़-ए-आशियाँ तक है
बेदम शाह वारसी
न तो अपने घर में क़रार है न तिरी गली में क़याम है
बेदम शाह वारसी
न कुनिश्त ओ कलीसा से काम हमें दर-ए-दैर न बैत-ए-हरम से ग़रज़
बेदम शाह वारसी
मुझे शिकवा नहीं बर्बाद रख बर्बाद रहने दे
बेदम शाह वारसी
मुझे जल्वों की उस के तमीज़ हो क्या मेरे होश-ओ-हवास बचा ही नहीं
बेदम शाह वारसी
में ग़श में हूँ मुझे इतना नहीं होश
बेदम शाह वारसी
रक़्क़ासा-ए-औहाम
बेबाक भोजपुरी
ऐ जुनूँ हाथ के चलते ही मचल जाऊँगा
बयान मेरठी
तेरा सितम जो मुझ से गदा ने सहा सहा
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
शिकवा अपने तालेओं की ना-रसाई का करूँ
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
ले के दिल उस शोख़ ने इक दाग़ सीने पर दिया
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
जादू थी सेहर थी बला थी
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
वारफ़्तगी-ए-इश्क़ न जाए तो क्या करें
बासित भोपाली
मोहब्बत की इंतिहा चाहता हूँ
बासित भोपाली
कुछ सिला ही न मिला इश्क़ में जल जाने का
बासित भोपाली
कोई मेयार-ए-मोहब्बत न रहा मेरे बा'द
बासित भोपाली