Bewafa Poetry (page 23)
देखते देखते सितम तेरा
बाक़र आगाह वेलोरी
महव-ए-फ़रियाद हो गया है दिल
बाक़र आगाह वेलोरी
उसी के ज़ुल्म से मैं हालत-ए-पनाह में था
बख़्श लाइलपूरी
क़ातिल हुआ ख़मोश तो तलवार बोल उठी
बख़्श लाइलपूरी
पड़े हैं राह में जो लोग बे-सबब कब से
बख़्श लाइलपूरी
मिरे हर लफ़्ज़ की तौक़ीर रहने के लिए है
बख़्श लाइलपूरी
जो पी रहा है सदा ख़ून बे-गुनाहों का
बख़्श लाइलपूरी
क्या पूछता है हम से तू ऐ शोख़ सितमगर
ज़फ़र
ये क़िस्सा वो नहीं तुम जिस को क़िस्सा-ख़्वाँ से सुनो
ज़फ़र
वाक़िफ़ हैं हम कि हज़रत-ए-ग़म ऐसे शख़्स हैं
ज़फ़र
शमशीर-ए-बरहना माँग ग़ज़ब बालों की महक फिर वैसी ही
ज़फ़र
रुख़ जो ज़ेर-ए-सुंबल-ए-पुर-पेच-ओ-ताब आ जाएगा
ज़फ़र
नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें कि क़रार ओ शकेब ज़रा न रहा
ज़फ़र
न उस का भेद यारी से न अय्यारी से हाथ आया
ज़फ़र
न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए न ताज-ए-शाहाना
ज़फ़र
मैं हूँ आसी कि पुर-ख़ता कुछ हूँ
ज़फ़र
जिगर के टुकड़े हुए जल के दिल कबाब हुआ
ज़फ़र
जब कभी दरिया में होते साया-अफ़गन आप हैं
ज़फ़र
हम ये तो नहीं कहते कि ग़म कह नहीं सकते
ज़फ़र
गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है
ज़फ़र
चुप थे जो बुत सवाल ब-लब बोलने लगे
बद्र-ए-आलम ख़लिश
ख़बर शाकी है
बद्र वास्ती
जले हैं दिल न चराग़ों ने रौशनी की है
बदीउज़्ज़माँ ख़ावर
किसी के जाल में आ कर मैं अपना दिल गँवा बैठा
बाबर रहमान शाह
हार-सिंगार
अज़रा नक़वी
वतन
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
ये मत कहो कि भीड़ में तन्हा खड़ा हूँ मैं
अज़्म शाकरी
अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ
अज़्म शाकरी
कमाल ये है कि दुनिया को कुछ पता न लगे
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
ये हम पर लुत्फ़ कैसा ये करम क्या
अज़ीज़ वारसी