Bewafa Poetry (page 24)
जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं
अज़ीज़ वारसी
आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला
अज़ीज़ क़ैसी
आतिश-ए-ख़ामोश
अज़ीज़ लखनवी
ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं
अज़ीज़ लखनवी
न हुई हम से शब बसर न हुई
अज़ीज़ लखनवी
मेरे रोने पे ये हँसी कैसी
अज़ीज़ लखनवी
कुछ हिसाब ऐ सितम ईजाद तो कर
अज़ीज़ लखनवी
इस वहम की इंतिहा नहीं है
अज़ीज़ लखनवी
दिल हमारा है कि हम माइल-ए-फ़रियाद नहीं
अज़ीज़ लखनवी
उठाईं हिज्र की शब दिल ने आफ़तें क्या क्या
अज़ीज़ हैदराबादी
जफ़ा देखनी थी सितम देखना था
अज़ीज़ हैदराबादी
सलीब ओ दार के क़िस्से रक़म होते ही रहते हैं
अज़ीज़ हामिद मदनी
क्या हुए बाद-ए-बयाबाँ के पुकारे हुए लोग
अज़ीज़ हामिद मदनी
कुछ ज़िंदगी में इश्क़-ओ-वफ़ा का हुनर भी रख
अज़ीज़ अन्सारी
इस को कोई ग़म नहीं है जिस का घर पत्थर का है
अज़हर नैयर
ग़ज़ल का शेर तो होता है बस किसी के लिए
अज़हर इनायती
उजाला दश्त-ए-जुनूँ में बढ़ाना पड़ता है
अज़हर इनायती
उदास उदास तबीअ'त जो थी बहलने लगी
अज़हर इनायती
इस बुलंदी पे कहाँ थे पहले
अज़हर इनायती
वफ़ा ख़ुलूस का सिंगार रोज़ करती है
अज़हर हाश्मी
जफ़ाओं की नुमाइश है किसी से कुछ नहीं बोलें
अज़हर हाश्मी
ऐ शहर-ए-सितम छोड़ के जाते हुए लोगो
अज़हर अदीब
वो शब के साए में फ़स्ल-ए-नशात काटते हैं
अज़हर अदीब
ये और बात है कि मदावा-ए-ग़म न था
अज़ीम मुर्तज़ा
कभी नाकामियों का अपनी हम मातम नहीं करते
आज़ाद गुरदासपुरी
सितम-दोस्त फ़िक्र-ए-अदावत कहाँ तक
आज़ाद अंसारी
साँस लेता हूँ तो दम घुटता है
अय्यूब रूमानी
दिल में कुछ दर्द सिवा है यारो
अय्यूब रूमानी
पूछते हैं तुझ को सफ़्फ़ाकी कहाँ रह कर मिली
औरंगज़ेब
अब कोई और मुसीबत तो न पाली जाए
औरंगज़ेब