Islamic Poetry (page 3)
वो देखा ख़्वाब क़ासिर जिस से है अपनी ज़बाँ और हम
इंशा अल्लाह ख़ान
उस बंदा की चाह देखिएगा
इंशा अल्लाह ख़ान
टुक क़ैस को छेड़-छाड़ कर इश्क़
इंशा अल्लाह ख़ान
टुक इक ऐ नसीम सँभाल ले कि बहार मस्त-ए-शराब है
इंशा अल्लाह ख़ान
टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा
इंशा अल्लाह ख़ान
तोडूँगा ख़ुम-ए-बादा-ए-अंगूर की गर्दन
इंशा अल्लाह ख़ान
तफ़ज़्जुलात नहीं लुत्फ़ की निगाह नहीं
इंशा अल्लाह ख़ान
सर चश्म सब्र दिल दीं तन माल जान आठों
इंशा अल्लाह ख़ान
पकड़ी किसी से जावे नसीम और सबा बंधे
इंशा अल्लाह ख़ान
नींद मस्तों को कहाँ और किधर का तकिया
इंशा अल्लाह ख़ान
न तो काम रखिए शिकार से न तो दिल लगाइए सैर से
इंशा अल्लाह ख़ान
मिल मुझ से ऐ परी तुझे क़ुरआन की क़सम
इंशा अल्लाह ख़ान
मल ख़ून-ए-जिगर मेरा हाथों से हिना समझे
इंशा अल्लाह ख़ान
लो फ़क़ीरों की दुआ हर तरह आबाद रहो
इंशा अल्लाह ख़ान
लब पे आई हुई ये जान फिरे
इंशा अल्लाह ख़ान
किनाया और ढब का इस मिरी मज्लिस में कम कीजे
इंशा अल्लाह ख़ान
जो हाथ अपने सब्ज़े का घोड़ा लगा
इंशा अल्लाह ख़ान
जी चाहता है शैख़ की पगड़ी उतारिए
इंशा अल्लाह ख़ान
गाहे गाहे जो इधर आप करम करते हैं
इंशा अल्लाह ख़ान
दीवार फाँदने में देखोगे काम मेरा
इंशा अल्लाह ख़ान
बस्ती तुझ बिन उजाड़ सी है
इंशा अल्लाह ख़ान
बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की
इंशा अल्लाह ख़ान
अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है
इंशा अल्लाह ख़ान
अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा
इंशा अल्लाह ख़ान
आने अटक अटक के लगी साँस रात से
इंशा अल्लाह ख़ान
उस के नाम जिसे तारीकी निगल चुकी
इंजिला हमेश
ख़ुदा से कलाम
इंजिला हमेश
जिला
इंजिला हमेश
एक कहानी इश्क़ की
इंजिला हमेश
बे-निशान
इंजिला हमेश