Islamic Poetry (page 5)
जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था
इम्दाद इमाम असर
बहे साथ अश्क के लख़्त-ए-जिगर तक
इम्दाद इमाम असर
ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छा
इमदाद अली बहर
वो रश्क-ए-मेहर-ओ-क़मर घात पर नहीं आता
इमदाद अली बहर
वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया
इमदाद अली बहर
शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का
इमदाद अली बहर
सैर उस सब्ज़ा-ए-आरिज़ की है दुश्वार बहुत
इमदाद अली बहर
रौशन हज़ार चंद हैं शम्स-ओ-क़मर से आप
इमदाद अली बहर
नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद
इमदाद अली बहर
मैं उस बुत का वस्ल ऐ ख़ुदा चाहता हूँ
इमदाद अली बहर
मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का
इमदाद अली बहर
महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया
इमदाद अली बहर
किया सलाम जो साक़ी से हम ने जाम लिया
इमदाद अली बहर
ख़ुदा-परस्त हुए न हम बुत-परस्त हुए
इमदाद अली बहर
ख़ुदा-परस्त हुए हम न बुत-परस्त हुए
इमदाद अली बहर
जाते है ख़ानक़ाह से वाइज़ सलाम है
इमदाद अली बहर
जड़ाव चूड़ियों के हाथों में फबन क्या ख़ूब
इमदाद अली बहर
जब दस्त-बस्ता की नहीं उक़्दा-कुशा नमाज़
इमदाद अली बहर
इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से
इमदाद अली बहर
हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं
इमदाद अली बहर
हमीं नाशाद नज़र आते हैं दिल-शाद हैं सब
इमदाद अली बहर
ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है
इमदाद अली बहर
गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया
इमदाद अली बहर
गर्दिश-ए-चर्ख़ से क़याम नहीं
इमदाद अली बहर
चुनने न दिया एक मुझे लाख झड़े फूल
इमदाद अली बहर
बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का
इमदाद अली बहर
बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का
इमदाद अली बहर
बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब
इमदाद अली बहर
आश्ना कोई बा-वफ़ा न मिला
इमदाद अली बहर
आरास्तगी बड़ी जिला है
इमदाद अली बहर