Islamic Poetry (page 2)
ख़ुदा ने जिस को चाहा उस ने बच्चे की तरह ज़िद की
इक़बाल साजिद
हर घड़ी का साथ दुख देता है जान-ए-मन मुझे
इक़बाल साजिद
दुनिया ने ज़र के वास्ते क्या कुछ नहीं किया
इक़बाल साजिद
अजब सदा ये नुमाइश में कल सुनाई दी
इक़बाल साजिद
ऐसे घर में रह रहा हूँ देख ले बे-शक कोई
इक़बाल साजिद
गुज़र गई जो चमन पर वो कोई क्या जाने
इक़बाल सफ़ी पूरी
ख़ुदा जाने गिरेबाँ किस के हैं और हाथ किस के हैं
इक़बाल नवेद
अगरचे पार काग़ज़ की कभी कश्ती नहीं जाती
इक़बाल नवेद
साल नौ के लिए एक नज़्म
इक़बाल नाज़िर
उस को नग़्मों में समेटूँ तो बुका जाने है
इक़बाल मतीन
ख़्वाब बर्फ़ानी चिता है
इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी
बनना था तो बनता न फ़रिश्ता न ख़ुदा मैं
इक़बाल कौसर
इक लौ थी मिरे ख़ून में तहलील तो ये थी
इक़बाल कौसर
मैं ऐसे हुस्न-ए-ज़न को ख़ुदा मानता नहीं
इक़बाल कैफ़ी
अफ़सोस माबदों में ख़ुदा बेचते हैं लोग
इक़बाल कैफ़ी
यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया
इक़बाल कैफ़ी
साइल के लबों पर है दुआ और तरह की
इक़बाल कैफ़ी
मौज-ए-बला में रोज़ कोई डूबता रहे
इक़बाल कैफ़ी
कैफ़-ए-हयात तेरे सिवा कुछ नहीं रहा
इक़बाल कैफ़ी
बे-कसी पर ज़ुल्म ला-महदूद है
इक़बाल कैफ़ी
टुकड़े टुकड़े मिरा दामान-ए-शकेबाई है
इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल
आँखों को इंतिशार है दिल बे-क़रार है
इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल
माना कि ज़िंदगी से हमें कुछ मिला भी है
इक़बाल अज़ीम
अल्लाह रे यादों की ये अंजुमन-आराई
इक़बाल अज़ीम
ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते
इक़बाल अज़ीम
जो हो सके तो कभी इतनी मेहरबानी कर
इक़बाल अासिफ़
उर्दू
इक़बाल अशहर
ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की
इक़बाल अशहर
जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह
इंशा अल्लाह ख़ान
वो जो शख़्स अपने ही ताड़ में सो छुपा है दिल ही की आड़ में
इंशा अल्लाह ख़ान