Islamic Poetry (page 4)
सीप मुट्ठी में है आफ़ाक़ भी हो सकता है
इंजील सहीफ़ा
फ़ज़ा में रंग से बिखरे हैं चाँदनी हुई है
इंजील सहीफ़ा
क्या ख़बर क्या ख़ता मिरी थी कि जो
इंद्र सराज़ी
उधर जो शख़्स भी आया उसे जवाब हुआ
इनाम कबीर
आसूदा-ए-मता-ए-करम बोलते नहीं
इनाम हनफ़ी
समझने वाला मिरा मर्तबा समझता है
इनआम आज़मी
जुदा हो कर समुंदर से किनारा क्या बनेगा
इनआम आज़मी
तिरी फ़ुज़ूल बंदगी बना न दे ख़ुदा मुझे
इम्तियाज़ अहमद
पयाम ले के हवा दूर तक नहीं जाती
इमरान-उल-हक़ चौहान
सड़क
इमरान शमशाद
ज़िंदगी में जो ये रवानी है
इमरान शमशाद
ठहर के देख तू इस ख़ाक से क्या क्या निकल आया
इमरान शमशाद
रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ अच्छा हो जाएगा
इमरान शमशाद
मुद्दत से आदमी का यही मसअला रहा
इमरान शमशाद
तलाश मैं ने ज़िंदगी में तेरी बे-शुमार की
इमरान हुसैन आज़ाद
मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा
इमरान हुसैन आज़ाद
ख़ुदा तू इतनी भी महरूमियाँ न तारी रख
इमरान हुसैन आज़ाद
हम-साए में शैतान भी रहता है ख़ुदा भी
इमरान आमी
एहतियातन उसे छुआ नहीं है
इमरान आमी
तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ
इम्दाद इमाम असर
ख़ुदा जाने 'असर' को क्या हुआ है
इम्दाद इमाम असर
इबादत ख़ुदा की ब-उम्मीद-ए-हूर
इम्दाद इमाम असर
ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं
इम्दाद इमाम असर
तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ
इम्दाद इमाम असर
सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो
इम्दाद इमाम असर
क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या
इम्दाद इमाम असर
मेरे सर में जो रात चक्कर था
इम्दाद इमाम असर
क्यूँ देखिए न हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद की तरफ़
इम्दाद इमाम असर
झूटे वादों पर तुम्हारी जाएँ क्या
इम्दाद इमाम असर
जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है
इम्दाद इमाम असर