Islamic Poetry (page 77)
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
अब्दुल हमीद अदम
हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
गुनाह-ए-जुरअत-ए-तदबीर कर रहा हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा
अब्दुल हमीद अदम
ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता
अब्दुल हमीद अदम
आँखों से तिरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता
अब्दुल हमीद अदम
आगही में इक ख़ला मौजूद है
अब्दुल हमीद अदम
एक ख़ुदा पर तकिया कर के बैठ गए हैं
अब्दुल हमीद
दुआ को हाथ मिरा जब कभी उठा होगा
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
ज़ाहिरन मौत है क़ज़ा है इश्क़
अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़
क़ुर्ब नस नस में आग भरता है
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
फूली है शफ़क़ गो कि अभी शाम नहीं है
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
खुली जब आँख तो देखा कि दुनिया सर पे रक्खी है
अब्दुल अहद साज़
तिरी मोहब्बत में गुमरही का अजब नशा था
अब्बास ताबिश
हमें तो इस लिए जा-ए-नमाज़ चाहिए है
अब्बास ताबिश
टूट जाने में खिलौनों की तरह होता है
अब्बास ताबिश
शे'र लिखने का फ़ाएदा क्या है
अब्बास ताबिश
शजर समझ के मिरा एहतिराम करते हैं
अब्बास ताबिश
मुसाफ़िरत में शब-ए-वग़ा तक पहुँच गए हैं
अब्बास ताबिश
मेरे आ'साब मोअ'त्तल नहीं होने देंगे
अब्बास ताबिश
जहान-ए-मर्ग-ए-सदा में इक और सिलसिला ख़त्म हो गया है
अब्बास ताबिश
आँख पे पट्टी बाँध के मुझ को तन्हा छोड़ दिया है
अब्बास ताबिश
जहाँ सारे हवा बनने की कोशिश कर रहे थे
अब्बास क़मर
हालत-ए-हाल से बेगाना बना रक्खा है
अब्बास क़मर
वफ़ादारी पे दे दी जान ग़द्दारी नहीं आई
अब्बास दाना
अक़्ल-ओ-दानिश को ज़माने से छुपा रक्खा है
अब्बास दाना
ये तुम से किस ने कहा है कि दास्ताँ न कहो
अब्बास अलवी
नज़्अ' की सख़्ती बढ़ी उन को पशेमाँ देख कर
अब्बास अली ख़ान बेखुद
वफ़ा और इश्क़ के रिश्ते बड़े ख़ुश-रंग होते हैं
आज़िम कोहली