Islamic Poetry (page 76)
हर आन जल्वा नई आन से है आने का
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ग़म याँ तो बिका हुआ खड़ा है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
तुझ को अग़राज़-ए-जहाँ से मावरा समझा था मैं
अब्दुल रहमान बज़्मी
अबस ढूँडा किए हम ना-ख़ुदाओं को सफ़ीनों में
अब्दुल रहमान बज़्मी
मिरी निगाह को जल्वों का हौसला दे दो
अब्दुल मन्नान तरज़ी
खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा
अब्दुल मन्नान तरज़ी
बज़्म में वो बैठता है जब भी आगे सामने
अब्दुल मन्नान समदी
न मोहतसिब की न हूर-ओ-जिनाँ की बात करो
अब्दुल मजीद सालिक
हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ
अब्दुल मजीद सालिक
ज़िंदगी छोटी है सामान बहुत
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
मुद्दतों देख लिया चुप रह के
अब्दुल मजीद हैरत
ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई
अब्दुल मजीद हैरत
ईमाँ-नवाज़ गर्दिश-ए-पैमाना हो गई
अब्दुल मजीद हैरत
ज़बान-ए-होश से ये कुफ़्र सरज़द हो नहीं सकता
अब्दुल हमीद अदम
ये रोज़-मर्रा के कुछ वाक़िआत-ए-शादी-ओ-ग़म
अब्दुल हमीद अदम
पीर-ए-मुग़ाँ से हम को कोई बैर तो नहीं
अब्दुल हमीद अदम
ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगर
अब्दुल हमीद अदम
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
अब्दुल हमीद अदम
जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़
अब्दुल हमीद अदम
दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर
अब्दुल हमीद अदम
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे
अब्दुल हमीद अदम
ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था
अब्दुल हमीद अदम
वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
अब्दुल हमीद अदम
वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
अब्दुल हमीद अदम
रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ
अब्दुल हमीद अदम
मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है
अब्दुल हमीद अदम
मुझ से चुनाँ-चुनीं न करो मैं नशे मैं हूँ
अब्दुल हमीद अदम
मोहतात ओ होशियार तो बे-इंतिहा हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम
क्या बात है ऐ जान-ए-सुख़न बात किए जा
अब्दुल हमीद अदम
खुली वो ज़ुल्फ़ तो पहली हसीन रात हुई
अब्दुल हमीद अदम