Islamic Poetry (page 75)
जिन्हें था फ़ख़्र नवाब-ओ-नजीब होते हैं
आबिद काज़मी
अपनी कमी से पूछ न उस की कमी से पूछ
आबिद अख़्तर
अभी तो आप ही हाइल है रास्ता शब का
अभिषेक शुक्ला
छोड़ उन को न जाने किधर मैं गया
अभिषेक कुमार अम्बर
पत्ते पत्ते से नग़्मा-सरा कौन है
अब्दुस्समद ’तपिश’
ख़ौफ़-ओ-वहशत बर-सर-ए-बाज़ार रख जाता है कौन
अब्दुस्समद ’तपिश’
जिस्म के मर्तबान में क्या है
अब्दुस्समद ’तपिश’
जहान-ए-फ़िक्र पे चमकेगा जब सितारा मिरा
अब्दुर्राहमान वासिफ़
वो सो रहा है ख़ुदा दूर आसमानों में
अब्दुर्रहीम नश्तर
आवाज़ दे रहा है अकेला ख़ुदा मुझे
अब्दुर्रहीम नश्तर
वो सो रहा है ख़ुदा दूर आसमानों में
अब्दुर्रहीम नश्तर
फिर इक नए सफ़र पे चला हूँ मकान से
अब्दुर्रहीम नश्तर
अगर हो ख़ौफ़-ज़दा ताक़त-ए-बयाँ कैसी
अब्दुर्रहीम नश्तर
पाबंद हर जफ़ा पे तुम्हारी वफ़ा के हैं
अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी
लग़्ज़िश-ए-साक़ी-ए-मय-ख़ाना ख़ुदा ख़ैर करे
अब्दुल्लतीफ़ शौक़
बुत यहाँ मिलते नहीं हैं या ख़ुदा मिलता नहीं
अब्दुल्लतीफ़ शौक़
वादा-ए-वस्ल है लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार उठा
अब्दुल्लाह कमाल
याद यूँ होश गँवा बैठी है
अब्दुल्लाह जावेद
फूल के लायक़ फ़ज़ा रखनी ही थी
अब्दुल्लाह जावेद
मैं तेरी ही आवाज़ हूँ और गूँज रहा हूँ
अब्दुल्लाह जावेद
हम क्या कहें कि आबला-पाई से क्या मिला
अब्दुल्लाह जावेद
तेरा ही मैं गदा हूँ मेरा तू शाह बस है
अब्दुल वहाब यकरू
कब करे क़स्द यार आवन का
अब्दुल वहाब यकरू
अदब में मुद्दई-ए-फ़न तो बे-शुमार मिले
अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची
उल्फ़त में तेरा रोना 'एहसाँ' बहुत बजा है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
नमाज़ अपनी अगरचे कभी क़ज़ा न हुई
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
कुछ तुम्हें तर्स-ए-ख़ुदा भी है ख़ुदा की वास्ते
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ज़ात उस की कोई अजब शय है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी