Sufi Poetry (page 18)
तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा
अब्दुल मन्नान तरज़ी
बेवफ़ा कहिए बा-वफ़ा कहिए
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
नौजवानी में पारसा होना
अब्दुल हमीद अदम
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे
अब्दुल हमीद अदम
मय-कदा था चाँदनी थी मैं न था
अब्दुल हमीद अदम
दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा
अब्दुल हमीद अदम
ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता
अब्दुल हमीद अदम
लहू की बूँद मिस्ल-ए-आइना हर दर पे रक्खी थी
अब्दुल हमीद साक़ी
हों क्यूँ न मुन्कशिफ़ असरार पस्त-ओ-बाला के
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
ख़ामोश कली सारे गुलिस्ताँ की ज़बाँ है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
दम-ए-वापसीं
अब्दुल अहद साज़
मिलती नहीं है नाव तो दरवेश की तरह
अब्बास ताबिश
ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है
अब्बास ताबिश
नक़्श सारे ख़ाक के हैं सब हुनर मिट्टी का है
अब्बास ताबिश
कुंज-ए-ग़ज़ल न क़ैस का वीराना चाहिए
अब्बास ताबिश
ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह
अातिश बहावलपुरी
इब्तिदा बिगड़ी इंतिहा बिगड़ी
अातिश बहावलपुरी
तुम्हें गिला ही सही हम तमाशा करते हैं
आतिफ़ कमाल राना
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
आसी उल्दनी
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
आसी उल्दनी
तिरे कूचे का रहनुमा चाहता हूँ
आसी ग़ाज़ीपुरी
एक जल्वे की हवस वो दम-ए-रेहलत भी नहीं
आसी ग़ाज़ीपुरी
उस पे क्या गुज़रेगी वक़्त मर्ग अंदाज़ा लगा
आसी फ़ाईकी
तलाश जिन को हमेशा बुज़ुर्ग करते रहे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
बोसीदा जिस्म-ओ-जाँ की क़बाएँ लिए हुए
आस मोहम्मद मोहसिन
क्यूँ खुल गए लोगों पे मिरी ज़ात के असरार
आनिस मुईन
हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और
आनिस मुईन
हमेशा ज़िंदगी की हर कमी को जीते रहते हैं
आलोक श्रीवास्तव