तुम अगर चाहो कभी बिफरा समुंदर देखना

तुम अगर चाहो कभी बिफरा समुंदर देखना

चौदहवीं में तुम मिरी आँखों का मंज़र देखना

जो हवाले से मिरे महफ़िल में पहचाने गए

ज़िक्र पर मेरे उन्ही लोगों के तेवर देखना

ज़ख़्म गिन कर क्या करोगे कार-ए-जाँ-ए-सोज़ी है ये

जो पड़े होंगे अभी रस्ते में पत्थर देखना

लोग कहते हैं कि तुम पत्थर हो इंसाँ तो नहीं

अब तो मजबूरन पड़ेगा तुम को छू कर देखना

आज तक भी मस्लहत-कोशी हमें आई नहीं

है यही तो एक ख़ामी अपने अंदर देखना

उस को अब हम ज़ुल्म समझें या कि ग़म-ख़्वारी तिरी

ख़ुद रुलाना और फिर हमदर्द बन कर देखना

ये न हो कि ना-मुकम्मल ही रहे मंज़िल का ख़्वाब

तेज़-रफ़्तारी में लग जाती है ठोकर देखना

जब खड़े होंगे ये सब फ़िरऔन मुल्ज़िम की तरह

वो अदालत जो लगेगी रोज़-ए-महशर देखना

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In Hindi By Famous Poet Murtaza Birlas. is written by Murtaza Birlas. Complete Poem in Hindi by Murtaza Birlas. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.