नबील अहमद नबील कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नबील अहमद नबील (page 2)
नाम | नबील अहमद नबील |
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अंग्रेज़ी नाम | Nabeel Ahmad Nabeel |
हमारे सर पे ये अक्सर ग़ज़ब होता ही रहता है
है जो बिगड़ी हुई सूरत मिरी बीमारी की
फ़लक बनाया गया है ज़मीं बनाई गई
इक यही अब मिरा हवाला है
दूर कुछ अहल-ए-जुनूँ की बे-क़रारी कीजिए
दिल धड़कनों में जैसे धड़कता उसी का था
देख कर उठता हुआ शौक़ का सर या'नी तू
चूर थे लोग जो संगीनी-ए-हिजरत से यहाँ
चराग़ ज़ुल्मत-ए-बे-नूर में जलाना तिरा
चारों जानिब पागल-ख़ाने लगते हैं
बुझती मशअ'ल की इल्तिजा जैसे
बला की धूप में ऐसे भी जिस्म जलता रहा
ऐसी उलझन हो कभी ऐसी भी रुस्वाई हो
ऐसी उलझन हो कभी ऐसी भी रुस्वाई हो
ऐसे वो दास्तान खींचता है
आँखों के इज़्तिराब से ऐसे झड़े हैं ख़्वाब
आई है ऐसे ग़म में रवानी परत परत