आज वो काम किया है मिरी महबूबा ने
दिल मिरा चाहता है डूब के मर जाने को
इस ने तलवार थमा कर ये रक़ीबों से कहा
कोई पत्थर से न मारे मिरे दीवाने को
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Wasi Shah
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(869) Peoples Rate This
अब्बा का चालीसवाँ
तआरुफ़
जवाब-ए-शिकवा
'ग़ालिब' का पोस्टमार्टम
कसरत-ए-औलाद
बेगम और शाएरी
झेल कर सख़्ती पुलिस की और थानेदार की
ज़रूरतों ने सताया है इस क़द्र मुझ को
बीवियाँ