मैं तंग-दस्ती-ए-मोहलत से इतना चाहता हूँ

मैं तंग-दस्ती-ए-मोहलत से इतना चाहता हूँ

ख़ुद अपने आप से एक बार मिलना चाहता हूँ

सिवा भरम कहीं कुछ भी नहीं है तो फिर भी

मैं थोड़ी दूर तिरे साथ चलना चाहता हूँ

मैं ख़ुद पे क़हर भी ढाऊँ हिफ़ाज़तें भी करूँ

मैं इस ख़ुदाई सिफ़त को बरतना चाहता हूँ

मैं चाहता हूँ सहारों के साथ साथ रहूँ

मैं लड़खड़ाए बिना ही सँभलना चाहता हूँ

सवाल फिर से है किरदार को बदलने का

मैं अब की बार भी कपड़े बदलना चाहता हूँ

हर एक शो से मोहब्बत है इस लिए मुझ को

मैं नफ़रतों के तसव्वुर से बचना चाहता हूँ

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In Hindi By Famous Poet Nazim Naqvi. is written by Nazim Naqvi. Complete Poem in Hindi by Nazim Naqvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.