रहेगा साथ तिरा प्यार ज़िंदगी बन कर
ये और बात मिरी ज़िंदगी वफ़ा न करे
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Rahat Indori
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(375) Peoples Rate This
क्या जाने किस ख़ुमार में किस जोश में गिरा
गुनगुनाती सी कोई रात भी आ जाती है
मैं जब 'क़तील' अपना सब कुछ लुटा चुका हूँ
मैं अपने दिल से निकालूँ ख़याल किस किस का
मेहरबाँ हम पे जो तक़दीर हमारी होगी
ऐ दोस्त! तिरी आँख जो नम है तो मुझे क्या
घनघोर घटा के आँचल को जब काली रात निचोड़ गई
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
पर्बत पर्बत घूम चुका हूँ सहरा सहरा छान रहा हूँ
इतने ऊँचे मर्तबे तक तुझ को पहुँचाएगा कौन
मंज़र समेट लाए हैं जो तेरे गाँव के
रहगुज़र