Ghazals of Shaayar Lakhnavi

Ghazals of Shaayar Lakhnavi
नामशायर लखनवी
अंग्रेज़ी नामShaayar Lakhnavi
जन्म की तारीख1917

उन का ग़म भी न रहा पास तो फिर क्या होगा

सहरा की बे-आब ज़मीं पर एक चमन तय्यार किया

नींद से आँख वो मिल कर जागे

नफ़स नफ़स पे नया सोज़-ए-आगही रखना

ख़्वाब से आँख वो मल कर जागे

जुदा हो कर वो हम से है जुदा क्या

जो थके थके से थे हौसले वो शबाब बन के मचल गए

जो ग़म-ए-हबीब से दूर थे वो ख़ुद अपनी आग में जल गए

जेहल को इल्म का मेआ'र समझ लेते हैं

हवा को और भी कुछ तेज़ कर गए हैं लोग

हब्स तारी है मुसलसल कैसा

इक तबस्सुम से हम ने रोक लिए

अपनी तलब का नाम डुबोने क्यूँ जाएँ मय-ख़ाने तक

आँसू शो'लों में ढल रहे हैं

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