वो बदन फूल की बाहोँ में पला हो जैसे

वो बदन फूल की बाहोँ में पला हो जैसे

इस क़दर नर्म कि ख़्वाबों में ढला हो जैसे

ज़िंदगी टूटते शीशों की सदा हो जैसे

ज़िंदगी काँपते होंटों की दुआ हो जैसे

इस तरह दिल में तिरी याद की ख़ुशबू आई

दश्त-ए-वीराँ में कोई फूल खिला हो जैसे

जब मुलाक़ात हुई उन से तो यूँ हँस के मिले

कोई शिकवा न शिकायत न गिला हो जैसे

ज़िंदगी दी है दिलों को मिरे गीतों ने 'शहाब'

मेरी आवाज़ हक़ाएक़ की सदा हो जैसे

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In Hindi By Famous Poet Shahab Ashraf. is written by Shahab Ashraf. Complete Poem in Hindi by Shahab Ashraf. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.