जुनून-ए-शौक़ की राहों में जब अपने क़दम निकले

जुनून-ए-शौक़ की राहों में जब अपने क़दम निकले

निगार-ए-हुस्न की ज़ुल्फ़ों के सारे पेच-ओ-ख़म निकले

ये बे-नूरी मिरे घर के उजालों की मआ'ज़-अल्लाह

अगर देखें अँधेरे तो अँधेरों का भी दम निकले

उभारे जाइए जब तक न उभरे नक़्श काग़ज़ पर

तराशे जाइए जब तक न पत्थर से सनम निकले

नहीं देखा था जब तक ख़ुद को समझे थे न जाने क्या

शुऊर-ए-इश्क़ ले कर आइना-ख़ाने से हम निकले

ये हसरत है सजा लूँ अपने होंटों पर हँसी में भी

घड़ी भर को मिरे दिल से अगर एहसास-ए-ग़म निकले

फ़राज़-ए-अर्श तक कैसे पहुँचते वो भला 'शाहिद'

फ़ज़ा-ए-तूर की हद से न आगे जो क़दम निकले

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In Hindi By Famous Poet Shahid Bhopali. is written by Shahid Bhopali. Complete Poem in Hindi by Shahid Bhopali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.