फिरती है तो फिर जाए बदलती है तो बदले
दुनिया की नज़र है मिरी क़िस्मत तो नहीं है
Gulzar
Habib Jalib
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Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
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Faiz Ahmad Faiz
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तर्क-ए-उल्फ़त से मोहब्बत का लिखा मिट न सका
दिल की हर बात कह गए आँसू
देख कर काली घटा अहल-ए-क़फ़स
कमर बाँधो मुक़द्दर के सहारे बैठने वालो
हमें तो याद नहीं कोई लम्हा-ए-इशरत
बन कर जो अंजान गए हैं