आदमी Poetry (page 17)

डरे हुए हैं सभी लोग अब्र छाने से

अज़हर फ़राग़

यक़ीं बनाता है कोई गुमाँ बनाता है

आज़र तमन्ना

तुम्हारे पास रहें हम तो मौत भी क्या है

आज़ाद गुलाटी

मता-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र रहा हूँ

अय्यूब साबिर

निहत्ते आदमी पे बढ़ के ख़ंजर तान लेती है

औरंगज़ेब

इश्क़ क्या है बेबसी है बेबसी की बात कर

औरंगज़ेब

ख़्वाबों की किर्चियाँ मिरी मुट्ठी में भर न जाए

अतीक़ुल्लाह

कौन गुज़रा था मेहराब-ए-जाँ से अभी ख़ामुशी शोर भरता हुआ

अतीक़ुल्लाह

बहुत दिनों में कहीं रास्ते बदलते थे

अतीक़ुल्लाह

दरमियान-ए-गुनाह-ओ-सवाब आदमी

आतिफ़ ख़ान

जुदाई हद से बढ़ी तो विसाल हो ही गया

अतीक़ इलाहाबादी

पहला जश्न-ए-आज़ादी

असरार-उल-हक़ मजाज़

कुछ तो मायूस दिल तेरे बस में भी है

असरारुल हक़ असरार

शायर-ए-आज़म

असरार जामई

हर शख़्स इस हुजूम में तन्हा दिखाई दे

असलम अंसारी

मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं

आसिम वास्ती

तुम इंतिज़ार के लम्हे शुमार मत करना

आसिम वास्ती

मौजूद जो नहीं वही देखा बना हुआ

आसिम वास्ती

ऐ मिरे दिल बता ख़्वाब बुनता है क्यूँ

अासिफ़ा ज़मानी

गुल्सितान-ए-ज़िंदगी में ज़िंदगी पैदा करो

अशोक साहनी

मेरे एहसास मेरे विसवास

अशोक लाल

जितना रोना था रो चुके आदम

असग़र वेलोरी

किसी की चाह में ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है

असग़र वेलोरी

हो गई अपनों की ज़ाहिर दुश्मनी अच्छा हुआ

असग़र वेलोरी

ज़िंदगी मौत का आईना

असग़र नदीम सय्यद

तारीख़ एक ख़ामोश ज़माना

असग़र नदीम सय्यद

टूट कर रूह में शीशों की तरह चुभते हैं

असग़र मेहदी होश

ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी 'होश'

असग़र मेहदी होश

जो इस ज़मीर फ़रोशी के माहेरीन में है

असग़र मेहदी होश

जला जला के दिए पास पास रखते हैं

असग़र मेहदी होश

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