जितना रोना था रो चुके आदम
और रोएगा आदमी कब तक
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Gulzar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Anwar Masood
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(656) Peoples Rate This
उन के हाथों से मिला था पी लिया
ज़िंदगी से समझौता आज हो गया कैसे
मुझ को ग़म का न कभी दर्द का एहसास रहा
कोई छोटा यहाँ कोई बड़ा है
हो गई अपनों की ज़ाहिर दुश्मनी अच्छा हुआ
खिलना हर एक फूल का 'असग़र' है मोजज़ा
शिकार अपनी अना का है आज का इंसाँ
रौशनी जब से मुझे छोड़ गई
पढ़ते थे किताबों में क़यामत का समाँ
तू ने अब तक जिसे नहीं समझा
दुनिया से ख़त्म हो गया इंसान का वजूद