तू ने अब तक जिसे नहीं समझा
और फिर उस की बंदगी कब तक
Javed Akhtar
Rahat Indori
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Allama Iqbal
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Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Gulzar
Wasi Shah
Parveen Shakir
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सुनो कुछ दीदा-ए-नम बोलते हैं
रौशनी जब से मुझे छोड़ गई
कोई छोटा यहाँ कोई बड़ा है
उन के हाथों से मिला था पी लिया
ऐ चारागरो पास तुम्हारे न मिलेगी
किसी की चाह में ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ज़िंदगी से समझौता आज हो गया कैसे
लोग अच्छों को भी किस दिल से बुरा कहते हैं
जितना रोना था रो चुके आदम
हो गई अपनों की ज़ाहिर दुश्मनी अच्छा हुआ
एक फ़ित्ना सा उठाया है चला जाएगा