ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी 'होश'
और अब तक आदमी ने सैकड़ों ख़ुदा बदले
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Habib Jalib
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
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जाने किस किस का गला कटता पस-ए-पर्दा-ए-इश्क़
इतना एहसास तो दे पालने वाले मुझ को
हुसैन
जला जला के दिए पास पास रखते हैं
हमेशा तंग रहा मुझ पे ज़िंदगी का लिबास
बचपन तमाम बूढ़े सवालों में कट गया
आदमी पहले भी नंगा था मगर जिस्म तलक
टूट कर रूह में शीशों की तरह चुभते हैं
हम भी करते रहें तक़ाज़ा रोज़
ज़िक्र-ए-अस्लाफ़ से बेहतर है कि ख़ामोश रहें
क्या सितम करते हैं मिट्टी के खिलौने वाले