अंधेरे Poetry (page 7)

वो रश्क-ए-मेहर-ओ-क़मर घात पर नहीं आता

इमदाद अली बहर

एक ख़्वाब की दूरी पर

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अजीब कर्ब-ए-मुसलसल दिल-ओ-नज़र में रहा

इफ़्फ़त ज़र्रीं

इस अँधेरे में जब कोई भी न था

इदरीस बाबर

यूँही आती नहीं हवा मुझ में

इदरीस बाबर

ख़याल-ए-बद से हमा-वक़्त इज्तिनाब करो

इबरत बहराईची

ख़ुद चराग़ बन के जल वक़्त के अंधेरे में

हस्तीमल हस्ती

दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती

हस्तीमल हस्ती

दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है

हसन नईम

कितनी मुश्किल से बहला था ये क्या कर गई शाम

हसन कमाल

शुआ-ए-ज़र न मिली रंग-ए-शाइराना मिला

हसन अज़ीज़

दिल की दहलीज़ पे जब शाम का साया उतरा

हसन आबिदी

हसीन यादों के चाँद को अलविदा'अ कह कर

हसन अब्बासी

उदास शामों बुझे दरीचों में लौट आया

हसन अब्बासी

नसीम-ए-सुब्ह-ए-बहार आए दिल-ए-हज़ीं को क़रार आए

हनीफ़ फ़ौक़

भूल जा मत रह किसी की याद में खोया हुआ

हामिद जीलानी

आप क्या आए कि रुख़्सत सब अंधेरे हो गए

हकीम नासिर

इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी

हकीम नासिर

रह रह के कौंदती हैं अंधेरे में बिजलियाँ

हैरत गोंडवी

आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम

हैरत गोंडवी

ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा

हैदर अली आतिश

तुझ से उम्मीद क्या लगा बैठे

हबीब कैफ़ी

ग़ालिब

गुलज़ार

ग़ालिब

गुलज़ार

डाइरी

गुलज़ार

मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता

गुलज़ार

आप जब चेहरा बदल कर आ गए

गोविन्द गुलशन

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए

गोपालदास नीरज

शब-ताब

गोपाल मित्तल

ज़ेहन में दाएरे से बनाता रहा दूर ही दूर से मुस्कुराता रहा

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

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