ख़ुद चराग़ बन के जल वक़्त के अंधेरे में
भीक के उजालों से रौशनी नहीं होती
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1016) Peoples Rate This
बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिए
शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता
ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तिरी खोई हुई चीज़ें
दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती
तेरी बीनाई किसी दिन छीन लेगा देखना
खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
इस बार मिले हैं ग़म कुछ और तरह से भी
कुछ और सबक़ हम को ज़माने ने सिखाए
मुझ से जल्दी हार कर मेरा हरीफ़
ढूँडा है हर जगह प कहीं पर नहीं मिला