कुछ और सबक़ हम को ज़माने ने सिखाए
कुछ और सबक़ हम ने किताबों में पढ़े थे
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Gulzar
Ahmad Faraz
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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वो भी चुप-चाप है इस बार ये क़िस्सा क्या है
हमें पसंद नहीं जंग में भी मक्कारी
तेरी बीनाई किसी दिन छीन लेगा देखना
वो जो क़िस्से में था शामिल वही कहता है मुझे
दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती
ख़्वाब में तेरा आना-जाना पहले भी था आज भी है
खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
दिल की हालत पूछने वालो
इस बार मिले हैं ग़म कुछ और तरह से भी
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता
ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तिरी खोई हुई चीज़ें