हमें पसंद नहीं जंग में भी मक्कारी
जिसे निशाने पे रक्खें बता के रखते हैं
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
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बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिए
कुछ और सबक़ हम को ज़माने ने सिखाए
लुत्फ़ आराम का तू क्या जाने
खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
इस बार मिले हैं ग़म कुछ और तरह से भी
दिल की हालत पूछने वालो
शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
तेरी बीनाई किसी दिन छीन लेगा देखना
कहीं ख़ुलूस कहीं दोस्ती कहीं पे वफ़ा
मुझ से जल्दी हार कर मेरा हरीफ़
दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती