दिल की हालत पूछने वालो
देखो कोई फूल मसल के
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बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिए
ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तिरी खोई हुई चीज़ें
शीशे के मुक़द्दर में बदल क्यूँ नहीं होता
मुझ से जल्दी हार कर मेरा हरीफ़
कहीं ख़ुलूस कहीं दोस्ती कहीं पे वफ़ा
खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
ढूँडा है हर जगह प कहीं पर नहीं मिला
दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
वो जो क़िस्से में था शामिल वही कहता है मुझे