मूर्ति Poetry (page 10)

था मुक़द्दम इश्क़-ए-बुत इस्लाम पर तिफ़्ली में भी

रिन्द लखनवी

काबे को जाता किस लिए हिन्दोस्तान से मैं

रिन्द लखनवी

तोहमत-ए-हसरत-ए-पर्वाज़ न मुझ पर बाँधे

रिन्द लखनवी

सातों फ़लक किए तह-ओ-बाला निकल गया

रिन्द लखनवी

साइलाना उन के दर पर जब मिरा जाना हुआ

रिन्द लखनवी

सदमे गुज़रे ईज़ा गुज़री

रिन्द लखनवी

नीस्त बे-यार मुझ को हस्ती है

रिन्द लखनवी

मुँह न ढाँको अब तो सूरत देख ली

रिन्द लखनवी

ख़ामोश दाब-ए-इश्क़ को बुलबुल लिए हुए

रिन्द लखनवी

गले लगाएँ बलाएँ लें तुम को प्यार करें

रिन्द लखनवी

दिल-लगी ग़ैरों से बे-जा है मिरी जाँ छोड़ दे

रिन्द लखनवी

दिल किस से लगाऊँ कहीं दिलबर नहीं मिलता

रिन्द लखनवी

चढ़ी तेरे बीमार-ए-फ़ुर्क़त को तब है

रिन्द लखनवी

अदू ग़ैर ने तुझ को दिलबर बनाया

रिन्द लखनवी

होते हैं ख़त्म अब ये लम्हात ज़िंदगी के

रिफ़अत सेठी

शम्अ' की आग़ोश ख़ाली कर के परवाना चला

रज़ा जौनपुरी

फिर राह दिखा मुझ को ऐ मशरब-ए-रिंदाना

रज़ा जौनपुरी

कुछ तो हासिल हो गया इरफ़ान-ए-मय-ख़ाना मुझे

रज़ा जौनपुरी

हर एक घर का दरीचा खुला है मेरे लिए

रज़ा हमदानी

न काबा है यहाँ मेरे न है बुत-ख़ाना पहलू में

रज़ा अज़ीमाबादी

जिस तरह हम रहे दुनिया में हैं उस तरह 'रज़ा'

रज़ा अज़ीमाबादी

चला है काबे को बुत-ख़ाने से 'रज़ा' यारो

रज़ा अज़ीमाबादी

निकल मत घर से तू ऐ ख़ाना-आबाद

रज़ा अज़ीमाबादी

ऐ बुत-ए-ना-आश्ना कब तुझ से बेगाने हैं हम

रज़ा अज़ीमाबादी

बुत-गर है न कोई बुत-शिकन है

रविश सिद्दीक़ी

अहद-ओ-पैमाँ कर के पैमाने के साथ

रविश सिद्दीक़ी

भूली-बिसरी ख़्वाहिशों का बोझ आँखों पर न रख

रौनक़ रज़ा

वो ख़ुश-सुख़न तो किसी पैरवी से ख़ुश न हुआ

रऊफ़ ख़ैर

जोश पर रंग-ए-तरब देख के मयख़ाने का

रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी

शैख़-ए-हरम उस बुत का परस्तार हुआ है

रासिख़ अज़ीमाबादी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.