घर Poetry (page 65)

इन मकानों से बहुत दूर बहुत दूर कहीं

इमरान शमशाद

ख़िज़ाँ के होश किसी रोज़ मैं उड़ाता हुआ

इमरान हुसैन आज़ाद

बात दिल को मिरे लगी नहीं है

इमरान आमी

कैसा आना कैसा जाना मेरे घर क्या आओगे

इम्दाद इमाम असर

यूँही उलझी रहने दो क्यूँ आफ़त सर पर लाते हो

इम्दाद इमाम असर

मेरे सर में जो रात चक्कर था

इम्दाद इमाम असर

महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था

इम्दाद इमाम असर

झूटे वादों पर तुम्हारी जाएँ क्या

इम्दाद इमाम असर

जब ख़ुदा को जहाँ बसाना था

इम्दाद इमाम असर

ग़म नहीं मुझ को जो वक़्त-ए-इम्तिहाँ मारा गया

इम्दाद इमाम असर

बहे साथ अश्क के लख़्त-ए-जिगर तक

इम्दाद इमाम असर

मेरा दिल किस ने लिया नाम बताऊँ किस का

इमदाद अली बहर

वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया

इमदाद अली बहर

तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद

इमदाद अली बहर

सब हसीनों में वो प्यारा ख़ूब है

इमदाद अली बहर

रौशन हज़ार चंद हैं शम्स-ओ-क़मर से आप

इमदाद अली बहर

क़द्र-दाँ कोई न असफ़ल है न आ'ला अपना

इमदाद अली बहर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

नफ़्स-ए-सरकश को क़त्ल कर ऐ दिल

इमदाद अली बहर

मर गए पर भी न हो बोझ किसी पर अपना

इमदाद अली बहर

कभी देखें जो रू-ए-यार दरख़्त

इमदाद अली बहर

जिस को चाहो तुम उस को भर दो

इमदाद अली बहर

जज़्ब-ए-उल्फ़त ने दिखाया असर अपना उल्टा

इमदाद अली बहर

जब दस्त-बस्ता की नहीं उक़्दा-कुशा नमाज़

इमदाद अली बहर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं

इमदाद अली बहर

गर्दिश-ए-चर्ख़ से क़याम नहीं

इमदाद अली बहर

दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

इमदाद अली बहर

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