मेरा दिल किस ने लिया नाम बताऊँ किस का
मैं हूँ या आप हैं घर में कोई आया न गया
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सब हसीनों में वो प्यारा ख़ूब है
आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है कि जलती है हवा
अब मरना है अपने ख़ुशी है जीने से बे-ज़ारी है
बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का
हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते
आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे
मैं उस बुत का वस्ल ऐ ख़ुदा चाहता हूँ
जल्वा-ए-अर्बाब-ए-दुनिया देखिए
न कह हक़ में बुज़ुर्गों की कड़ी बात
नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद
क़द्र-दाँ कोई न असफ़ल है न आ'ला अपना
ज़ालिम हमारी आज की ये बात याद रख