हिजाब Poetry (page 6)

जो रहा यूँ ही सलामत मिरा जज़्ब-ए-वालहाना

फ़ारूक़ बाँसपारी

झगड़े ख़ुदा से हो गए अहद-ए-शबाब में

फ़रहत एहसास

तुम्हारे ख़्वाब मिरे साथ साथ चलते हैं

फ़रहत अब्बास शाह

अक्स कुछ न बदलेगा आइनों को धोने से

फ़रहान सालिम

पहुँच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भुला न सके

फ़रीद जावेद

पहुँच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भुला न सके

फ़रीद जावेद

जला के दामन-ए-हस्ती का तार तार उठा

फ़रीद इशरती

भर के साक़ी जाम-ए-मय इक और ला और जल्द ला

फ़ानी बदायुनी

ताकीद है कि दीदा-ए-दिल वा करे कोई

फ़ानी बदायुनी

इब्तिदा-ए-इश्क़ है लुत्फ़-ए-शबाब आने को है

फ़ानी बदायुनी

हर घड़ी इंक़लाब में गुज़री

फ़ानी बदायुनी

दिल की तरफ़ हिजाब-ए-तकल्लुफ़ उठा के देख

फ़ानी बदायुनी

ऐ बे-ख़ुदी ठहर कि बहुत दिन गुज़र गए

फ़ानी बदायुनी

अब उन्हें अपनी अदाओं से हिजाब आता है

फ़ानी बदायुनी

उस ने किया हिजाब मिरे देखने के बा'द

फख़्र अब्बास

ऐ दिल अच्छा नहीं मसरूफ़-ए-फ़ुग़ाँ हो जाना

फ़ैज़ुल हसन

अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वफ़ा-ए-वादा नहीं वादा-ए-दिगर भी नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम एक दिन निकल आए थे ख़्वाब से बाहर

फ़हीम शनास काज़मी

मरने वाले फ़ना भी पर्दा है

एहसान दानिश

मिरे मिटाने की तदबीर थी हिजाब न था

एहसान दानिश

जब रुख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा

एहसान दानिश

हुस्न-ए-ख़ुद-बीं को हुआ और सिवा नाज़-ए-हिजाब

दिल शाहजहाँपुरी

मस्त हूँ मस्त हूँ ख़राब ख़राब

दाऊद औरंगाबादी

जब परी-रू हिजाब करते हैं

दाऊद औरंगाबादी

दिलबर कूँ इताब ख़ूब है ख़ूब

दाऊद औरंगाबादी

दर्पन दिया हूँ दिल का मैं उस दिलरुबा के हाथ

दाऊद औरंगाबादी

इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे

दत्तात्रिया कैफ़ी

साथ शोख़ी के कुछ हिजाब भी है

दाग़ देहलवी

रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी

दाग़ देहलवी

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