अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे
गुनाहगार-ए-नज़र को हिजाब आता है
Habib Jalib
Javed Akhtar
Rahat Indori
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Mohsin Naqvi
Gulzar
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Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
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उम्मीद-ए-सहर की बात सुनो
सितम सिखलाएगा रस्म-ए-वफ़ा ऐसे नहीं होता
नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं
इंतिसाब
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
नज़्म
सुरुद-ए-शबाना
तिरी उमीद तिरा इंतिज़ार जब से है
न अब रक़ीब न नासेह न ग़म-गुसार कोई
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
निसार मैं तेरी गलियों के
ब-नोक-ए-शमशीर