समय Poetry (page 37)

तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद

इमदाद अली बहर

फल आते हैं फूल टूटते हैं

इमदाद अली बहर

मैं गिला तुम से करूँ ऐ यार किस किस बात का

इमदाद अली बहर

ख़ूब-रूयान-ए-जहाँ चाँद की तनवीरें हैं

इमदाद अली बहर

जज़्ब-ए-उल्फ़त ने दिखाया असर अपना उल्टा

इमदाद अली बहर

जब दस्त-बस्ता की नहीं उक़्दा-कुशा नमाज़

इमदाद अली बहर

हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं

इमदाद अली बहर

बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का

इमदाद अली बहर

वक़्त वक़्त की बात है या दस्तूर है दुनिया का साईं

इलियास इश्क़ी

समझाने वालों ने कितना उन को समझाया लोगो

इलियास इश्क़ी

हमारे दिन गुज़र गए

इलियास बाबर आवान

ग़ैर-निसाबी तारीख़

इलियास बाबर आवान

थोड़ी चाँदी थोड़ा गारा लगता है

इलियास बाबर आवान

दो उम्रों की रुई धुन कर आया हूँ

इलियास बाबर आवान

अपनी मजबूरी बताता रहा रो कर मुझ को

इफ़्तिख़ार नसीम

ये वक़्त किस की रऊनत पे ख़ाक डाल गया

इफ़्तिख़ार आरिफ़

समुंदरों को भी हैरत हुई कि डूबते वक़्त

इफ़्तिख़ार आरिफ़

यक़ीन से यादों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता

इफ़्तिख़ार आरिफ़

क़िस्सा एक बसंत का

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मुकालिमा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अबू-तालिब के बेटे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

समझ रहे हैं मगर बोलने का यारा नहीं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहजे में

इफ़्तिख़ार आरिफ़

दुख और तरह के हैं दुआ और तरह की

इफ़्तिख़ार आरिफ़

घबरा गए हैं वक़्त की तन्हाइयों से हम

इफ़्फ़त ज़र्रीं

वही ख़्वाब है वही बाग़ है वही वक़्त है

इदरीस बाबर

तू भी हो मैं भी हूँ इक जगह पे और वक़्त भी हो

इदरीस बाबर

वो गुल वो ख़्वाब-शार भी नहीं रहा

इदरीस बाबर

मिरे क़रीब ही महताब देख सकता था

इदरीस बाबर

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