Ghazals of Zia-ul-Mustafa Turk

Ghazals of Zia-ul-Mustafa Turk
नामज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क
अंग्रेज़ी नामZia-ul-Mustafa Turk
जन्म की तारीख1976
जन्म स्थानSialkot

उन आँखों की हैरत और दबीज़ करूँ

तुग़्यानी से डर जाता हूँ

सूरज निकलने शाम के ढलने में आ रहूँ

सुकूत से भी सुख़न को निकाल लाता हुआ

रिफ़ाक़त की ये ख़्वाहिश कह रही है

फिर उसी धुन में उसी ध्यान में आ जाता हूँ

न थीं तो दूर कहीं ध्यान में पड़ी हुई थीं

मेरे गिर्या से न आज़ार उठाने से हुआ

कितने ही फ़ैसले किए पर कहाँ रुक सका हूँ मैं

किसी सफ़र किसी अस्बाब से इलाक़ा नहीं

कहीं ये लम्हा-ए-मौजूद वाहिमा ही न हो

जिस भी लफ़्ज़ पे उँगलियाँ रख दे साज़ करे

दिनों में दिन थे शबों में शबें पड़ी हुई थीं

चराग़-ए-कुश्ता से क़िंदील कर रहा है मुझे

आईने के आख़िरी इज़हार में

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