ज़िंदगी अज़्मत-ए-हाज़िर के बग़ैर
इक तसलसुल है मगर ख़्वाबों का
Wasi Shah
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Rahat Indori
Gulzar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(826) Peoples Rate This
नफ़स के लोच को ख़ंजर बनाना चाहती है
ख़मोशी मेरी लय में गुनगुनाना चाहती है
आज यादों ने अजब रंग बिखेरे दिल में
ये तबस्सुम का उजाला ये निगाहों की सहर
ज़ुल्मतें वहशत-ए-फ़र्दा से निढाल
जादा-ए-मय पे गुज़र ख़्वाबों का
कुछ न किया अरबाब-ए-जुनूँ ने फिर भी इतना काम किया