क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
पानी में है क्या और भी पानी से ज़ियादा
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राह दुश्वार भी है बे-सर-ओ-सामानी भी
ज़मीं नहीं ये मिरी आसमाँ नहीं मेरा
मरकज़-ए-जाँ तो वही तू है मगर तेरे सिवा
हमारे दुखों का इलाज कहाँ है
जिस काम में हम ने हाथ डाला
आख़िरी दिन से पहले
कि जैसे कुंज-ए-चमन से सबा निकलती है
वक़्त गुज़रता नहीं
ये रह-ए-इश्क़ है इस राह पे गर जाएगा तू
इक फ़रामोश कहानी में रहा
क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे