ये सदमा जीते जी दिल से हमारे जा नहीं सकता
उन्हें वो भूले बैठे हैं जो उन पर मरने वाले हैं
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बाहम जो हुस्न ओ इश्क़ में याराना हो गया
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
राह-ए-उल्फ़त का निशाँ ये है कि वो है बे-निशाँ
नाकाम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम
तंग आ गया हूँ वुस्अत-ए-मफ़हूम-ए-इश्क़ से
कशिश-ए-हुस्न की ये अंजुमन-आराई है
अदा में बाँकपन अंदाज़ में इक आन पैदा कर
रोक ले ऐ ज़ब्त जो आँसू के चश्म-ए-तर में है
हालत दिल-ए-बेताब की देखी नहीं जाती
मौत ही आप के बीमार की क़िस्मत में न थी
हम अपनी बे-क़रारी-ए-दिल से हैं बे-क़रार