नाकाम हैं असर से दुआएँ दुआ से हम
मजबूर हैं कि लड़ नहीं सकते ख़ुदा से हम
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मुतमइन अपने यक़ीं पर अगर इंसाँ हो जाए
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
राह-ए-उल्फ़त का निशाँ ये है कि वो है बे-निशाँ
हालत दिल-ए-बेताब की देखी नहीं जाती
तंग आ गया हूँ वुस्अत-ए-मफ़हूम-ए-इश्क़ से
रोक ले ऐ ज़ब्त जो आँसू के चश्म-ए-तर में है
किसी को भेज के ख़त हाए ये कैसा अज़ाब आया
मौत ही आप के बीमार की क़िस्मत में न थी
अदा में बाँकपन अंदाज़ में इक आन पैदा कर
इक नज़र में दर्द खो देना दिल-ए-बीमार का
साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है
ये सदमा जीते जी दिल से हमारे जा नहीं सकता