कहाँ मिला मैं तुझे ये सवाल ब'अद का है
तू पहले याद तो कर किस जगह गँवाया मुझे
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शब को इक बार खुल के रोता हूँ
कुछ तसावीर बोल पड़ती हैं
जाँ क़र्ज़ है सो उतारते हैं
कोई तोहमत हो मिरे नाम चली आती है
आज़ार मिरे दिल का दिल-आज़ार न हो जाए
घर में मिट्टी का दिया मौजूद है
मिरे मज़ार पे आ कर दिए जलाएगा
बाज़ वादे किए नहीं जाते
इस नाम का कोई भी नहीं है
जान से कैसे जाया जाता है