बाज़ वादे किए नहीं जाते
फिर भी उन को निभाया जाता है
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(940) Peoples Rate This
मुझे कुछ देर रुकना चाहिए था
घर में मिट्टी का दिया मौजूद है
मिरे मज़ार पे आ कर दिए जलाएगा
जाँ क़र्ज़ है सो उतारते हैं
ऐ शब-ए-ग़म जो हम भी घर जाएँ
अँधेरी रात है साया तो हो नहीं सकता
अज़ाँ पे क़ैद नहीं बंदिश-ए-नमाज़ नहीं
कोई तोहमत हो मिरे नाम चली आती है
आज़ार मिरे दिल का दिल-आज़ार न हो जाए
इस नाम का कोई भी नहीं है