Ghazals of Asghar Mehdi Hosh

Ghazals of Asghar Mehdi Hosh
नामअसग़र मेहदी होश
अंग्रेज़ी नामAsghar Mehdi Hosh

ये तो सच है कि टूटे फूटे हैं

प्यासा रहा मैं बाला-क़दी के फ़रेब में

फूल पत्थर की चटानों पे खिलाएँ हम भी

मोहब्बत कर के शर्मिंदा नहीं हूँ

मेरा बचपन ही मुझे याद दिलाने आए

काम कुछ तो लेना था अपने दीदा-ए-तर से

जो सज़ा चाहो मोहब्बत से दो यारो मुझ को

जो इस ज़मीर फ़रोशी के माहेरीन में है

जला जला के दिए पास पास रखते हैं

इतना एहसास तो दे पालने वाले मुझ को

इस से पहले कि हवा मुझ को उड़ा ले जाए

हमेशा तंग रहा मुझ पे ज़िंदगी का लिबास

चेहरों को बे-नक़ाब समझने लगा था मैं

बे-निशान क़दमों की कहकशाँ पकड़ते हैं

बस्ती मिली मकान मिले बाम-ओ-दर मिले

बाहर का माहौल तो हम को अक्सर अच्छा लगता है

बचपन तमाम बूढ़े सवालों में कट गया

आए थे घर में आग लगाने शरीर लोग

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