Sad Poetry of Asghar Mehdi Hosh
नाम | असग़र मेहदी होश |
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अंग्रेज़ी नाम | Asghar Mehdi Hosh |
कविताएं
Ghazal 18
Nazam 7
Couplets 18
Love 18
Sad 15
Heart Broken 25
Bewafa 3
Hope 6
Friendship 3
Islamic 1
Social 4
बारिश 2
ख्वाब 7
Sharab 1
बच्चे खुली फ़ज़ा में कहाँ तक निकल गए
सराए
ना-गुज़ीर
हुसैन
घरौंदे
ये तो सच है कि टूटे फूटे हैं
फूल पत्थर की चटानों पे खिलाएँ हम भी
मोहब्बत कर के शर्मिंदा नहीं हूँ
मेरा बचपन ही मुझे याद दिलाने आए
काम कुछ तो लेना था अपने दीदा-ए-तर से
जो सज़ा चाहो मोहब्बत से दो यारो मुझ को
जला जला के दिए पास पास रखते हैं
इतना एहसास तो दे पालने वाले मुझ को
बाहर का माहौल तो हम को अक्सर अच्छा लगता है
बचपन तमाम बूढ़े सवालों में कट गया