Sad Poetry of Asghar Mehdi Hosh

Sad Poetry of Asghar Mehdi Hosh
नामअसग़र मेहदी होश
अंग्रेज़ी नामAsghar Mehdi Hosh

बच्चे खुली फ़ज़ा में कहाँ तक निकल गए

सराए

ना-गुज़ीर

हुसैन

घरौंदे

ये तो सच है कि टूटे फूटे हैं

फूल पत्थर की चटानों पे खिलाएँ हम भी

मोहब्बत कर के शर्मिंदा नहीं हूँ

मेरा बचपन ही मुझे याद दिलाने आए

काम कुछ तो लेना था अपने दीदा-ए-तर से

जो सज़ा चाहो मोहब्बत से दो यारो मुझ को

जला जला के दिए पास पास रखते हैं

इतना एहसास तो दे पालने वाले मुझ को

बाहर का माहौल तो हम को अक्सर अच्छा लगता है

बचपन तमाम बूढ़े सवालों में कट गया

असग़र मेहदी होश Sad Poetry in Hindi - Read famous Sad Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by असग़र मेहदी होश. Largest collection of Sad Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by असग़र मेहदी होश. Share the असग़र मेहदी होश Sad Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.